Sunday, September 1, 2019

Bachpan

जब दिल में काश का साया नही था,
वो बचपन मेरा जाया नही था..

 वो, वो दौर् था जब आँखो मे निंद
  और सपने साथ साथ बैठते थे;
 जब दिन मे, "हम होंगे कमयाब" 
  के नारे जोर से लगते थे ....

बस्ता भलेही भारी था ,
पर मन हमेशा हलका रहता था ;
 पैसा हो या ना हो,
 पर सुकून हमेशा रहता था....

हो या ना हो कोई साथ,  नही थी किसी की चाहत
2-4 दोस्त मिल जाये किस्सो के साथ,
    इसी मे थी अपनी राहत.!

 ना किसी का तान्हा सूने ना जिम्मेदारियो का बोझ ;
 मस्ती करना एक ही काम था,
           गालिया खाते थे रोज ....

 बीत गया वो दौऱ, रह ग‌ई बस यादे ,
 ना खुद के लिये वक्त हैं , ना होती किसी से बाते...


 भूल गये अब सब, वो दौऱ पीछे छुट गया ;
  अब समझ आता हैं - बचपन ही थी जन्नत,
 लेकीन अब बचपन भी हमसे रूठ गया !!!

                    _pratik Ledaskar
Bachpan 
.

 

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